
बच्चों के साथ दो महीने से न्याय के लिए दर दर भटक रही सरिता
पति ने दिया धोखा रिश्तेदार ने थामा हाथ महिला को नहीं मिला किसी का साथ
एसके भारती/कुशीनगर
अंग्रेजी कवि विलियम शेक्सपियर ने कहा था कि LOVE IS BLIND (प्यार अंधा होता है), जब किसी को किसी से प्यार हो जाता है तो उस समय प्रेमियों को रंग रूप, अमीरी गरीबी, जात धर्म आदि सब कुछ भूलकर बस प्यार के धुन नजर आती है। पर ये प्यार किसी की जीवन को संवार देता है तो किसी की जिंदगी दो राहों पर लाकर खड़ा कर देता है कि उसको आगे जाने पर कुवां और पीछे आने पर खाई ही दिखाई देती है .?
कुछ ऐसी ही कहानी पीड़ित महिला सरिता की है, जो पहले पति को छोड़ देने के बाद उसके ही एक दूर का रिश्तेदार ने जीवनभर साथ निभाने का वादा करके साथ रखा और शारीरिक तथा आर्थिक शोषण करने के बाद एक रात बचे हुवे गहनों को लेकर फरार हो गया। दो बच्चों के साथ पीड़ित महिला बगैर पैसों के जाए तो जाए कहां।
उच्चाधिकारियों, सीएम हेल्पलाइन और सांसद जनसुनवाई में भी कर चुकी है अपील,फिर भी नही मिला न्याय
बताते चले कि सरिता पुत्री सुखारी प्रसाद निवासी रामपुर जमुनिया, गौरी श्रीराम को पड़रौना कोतवाली क्षेत्र के मेलानगरी गांव निवासी सुरेश पुत्र मोतीलाल ने बहला फुसलाकर नोयडा लेकर चला गया, जहा पर कुछ साल साथ रहने पर उससे एक बच्ची भी हो गयी। सुरेश का एक दूर के रिश्तेदार अनुज उर्फ अमित पुत्र रामसेवक मिलने जुलने के लिए आया जाया करता था। एक दिन बगैर बताये ही सुरेश ने सब कुछ छोड़कर चुपके से अपने घर भाग गया। दो तीन दिन तक उसके वापस आने की राह देख रही सरिता को एक दिन अनुज दिखाई दिया, जिससे सुरेश के घर का पता पूछने पर बताया कि कुछ दिन बाद वो घर जा रहा है तो उसे भी साथ लेकर चलेगा। तब तक उसको यही रहने की सलाह देते हुवे उसकी और बच्चे का खर्च उठाने को तैयार हो गया।
समय का चक्र अपने गति के साथ चल रहा था। और अनुज कभी अगले हप्ते तो कभी अगले माह चलनू की बात कह रहा था। पर बीच मझधार में फंसी अकेली महिला कर भी क्या सकती थी, सुरेश की बेवफाई और अनुज की दरियादिली ने उन दोनों को करीब ला दिया। और दोनों साथ रहने लगे कुछ सालों बाद अनुज से भी एक सन्तान हो गया। तब सरिता दो बच्चों की माँ हो गई। कोरोना महामारी के चलते बन्द हुवे कम्पनियों और लगे हुवे लॉकडाउन ने उन दोनों को घर आने पर मजबूर कर दिया। पर अनुज ने उसे अपने घर न लाकर गोरखपुर में ही भाड़े का कमरा लेकर रहने लगा। जब उन दोनों के पास जमा पूंजी समाप्त हो गया तो एक दिन बगैर बताये अनुज सरिता को गोरखपुर में ही छोड़कर नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के पटखौली गांव में स्थित अपने पैतृक घर चला आया। कुछ दिनों तक उसके आने की राह देखने के बाद सरिता ने अनुज के द्वारा बताए गए पते पर किसी न किसी तरह पहुंच गयी। अनुज के घर पहुचते ही अनुज और उसके परिजनों के द्वारा सरिता को मार पीटकर घर से बाहर निकाल दिया गया। और उसको अपना बहु भी मानने से इनकार कर दिया। एक दो दिन इधर उधर रहने के बाद महिला ने स्थानीय थाने में तहरीर देकर कार्यवाही की मांग की। इसी बीच अनुज के परिजनों ने उसे अपने किसी दूर के रिश्तेदार के घर भेजवाकर उसका मोबाईल नम्बर भी बदलवा दिया। हालात की मारी सरिता न तो अपने मायके ही जा सकती थी और ना ही उसके ससुराल वाले उसे रख रहे थे। अपने दो मासूम पल्लवी (9वर्ष) और आर्यन (2वर्ष) के साथ अपने हक और अधिकार को पाने के लिए सरिता दर दर भटक रही है। स्थानीय थाने से लेकर जनपद स्तरीय अधिकारियों, सीएम हेल्पलाइन सांसद जनसुनवाई से लेकर अनेको जगह शिकायती पत्र देकर न्याय की गुहार लगा चुकी है पर दो माह गुजरने के बाद भी सरिता को न्याय नही मिल सका है।
सनद रहे कि महिला उत्पीड़न की घटनाओं में त्वरित कार्यवाही करने का आदेश देने वाले योगीराज में उक्त पीड़ित महिला को न्याय कब मिलता है ..??