
महामारी व प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहे किसान
बर्फबारी ने फिर से किया किसानों को फसलों को नुकसान
खड्डा/कुशीनगर
विगत कई वर्षों से कोरोना जैसी महामारी की मार झेल रहे किसान अभी संभल भी नहीं पाए थे कि प्राकृतिक आपदाओं ने किसानों की कमर ही तोड़ डाली भारी बरसात होने के कारण किसानों को बाढ़ जैसी आपदा झेलनी पड़ी जिसमें किसानों के फसल नदियों में विलीन हो गई कहीं-कहीं किसानों के घरों में आगजनी के कारण शादी योग्य लड़कियों को घर में ही बैठना पड़ा इसकी भी मार किसान झेल गया कभी आकाशी बिजली तो कभी सूखा तो कभी बेमौसम बरसात ने एक बार फिर किसानों को झझोल दिया
महामारी से आपदा तक टूटे किसान
फिर महामारी की तीसरी लहर डायन बन कर मंडराने लगी ज्यों का त्यों चल ही रहा था कि कुछ फसलों की आस लगाए किसान अपने अरमानों की दीवार खड़ी कर ही रहे थे कि बर्फबारी ने दीवारों को तीर से भेदना शुरू कर दिया और फिर किसानों की फसलों पर आपदाओं ने अपना पांव पसार दिया महामारी से लेकर आपदाओं को झेलते किसानों को कितनी मार झेलनी पड़ी या तो किसान खुद जानता है नहीं तो राम ही जाने।