धर्म/अध्यात्म

कुशीनगर जनपद के सपईं में श्रीमद्भागवत गीता का हुआ आयोजन

कथा के चौथे दिन शास्त्री ने श्रद्धालुओं से दया भाव से बारा कोई धर्म नहीं

कुशीनगर जनपद अंतर्गत तमकुही ब्लाक के बरवा राजापाकड़ गांव के सपही बरवा में आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन रविवार की रात भागवत कथा मर्मज्ञ आचार्य विनय शास्त्री ने श्रद्धालुओं से कहा कि जीवमात्र पर दया का भाव रखकर उनकी सेवा करना और अपनी मेहनत की कमाई से सिंचित धन में से कुछ धन जन कल्याण के लिए दान करने से बढ़ा कोई धर्म नहीं होता। आज लोगों में धन संचय करने तथा पीड़ित जीव के प्रति मन में दया का भाव नहीं रखने वाले लोग समस्या से ग्रस्त हैं। लोगों में जब तक दया का भाव जाग्रृत नहीं होगा तो एक दूसरे के प्रति प्रेम भी नहीं बढ़ेगा।

बिना दया भाव के धर्म की कल्पना व्यर्थ है

बिना दया के धर्म की कल्पना करना व्यर्थ है। उन्होंने ने पुरंजन व्याखान, पृथु चरित्र व जड़भरत का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि दया धर्म का मूल है परन्तु मोह नहीं, लोभ आवश्यक है परन्तु अति लोभ पाप का मूल है, आसक्ति होना नाश का कारण है। कोई भी धर्म हिंसा करना नहीं बताता, सभी धर्मों के मूल में अहिंसा ही है। इस दौरान पंकज त्रिपाठी, रमेश श्रीवास्तव, राजकुमार, गिरीश नारायण मिश्र, नंद पाठक, यजमान कमलावती देवी, सुकदेव गुप्ता, सिहांसन गुप्ता, राजेश विश्कर्मा, आशीष पांडेय, रविंद्र शर्मा, शंकर गुप्ता, छठ्ठू गुप्ता, धर्मेन्द्र राव कृषिविभाग, संदीप सिंह, राधेश्याम गुप्ता, ध्रुव गुप्ता, सुनरपति , ज्योता, निशा, कलावती, मूर्ति, मुन्नी, नंदकिशोर गुप्ता आदि मौजूद रहे।

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